Mahashivratri 2020ka mahatv and poem
महाशिवरात्री 2020का महत्व और कविता।
Maha shivratri 2020 poem |
महाशिवरात्रि हिन्दूओं के सभी त्योहारों में सबसे महत्वपूर्ण एवं सर्व श्रेष्ठ त्योहार है। यह प्रत्येक वर्ष फाल्गुन महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
इस दिन साधु संत और सभी उम्र के लोग ब्रत रखते हैं।
स्त्रीयां परिवार कल्याण और अपने पति के लम्बी उम्र के लिए कामना करती हैं। वहीं कुवांरी कन्या सुन्दर और शांत वर प्राप्त हों के लिए ब्रत रखतीं हैं। पूरे विधि विधान से शंकर जी की सभी नर नारी पूजा अर्चना करते हैं
इस वर्ष महाशिवरात्री 21तारिख को शाम 5 बजकर 20मिनट से 22तारिख 7बजकर 2मिनट तक शुभ मुहूर्त है। शिवपुराण के अनुसार यह फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष तिथि चतुर्दशी को मनाया जाता है।
मान्यता है कि महाशिव रात्रि के दिन शिव और शक्ति की शादी हुई थी। इस दिन शिव भक्त शंकर और पार्वती की शादी का धूम धाम से उत्सव मनाते है। इसी दिन शक्ति और शिव का मिलन हुआ था।
इसी दिन भगवान शिव वैराग्य छोड़कर गृहस्थ आश्रम में प्रवेश किये थे। इसीलिए कुंवारी कन्यायें इस दिन उपवास करती है और भगवान शिव की ध्यानपूर्वक आराधना करती हैं।
औघड़दानी भोले शिवरात्रि के दिन एक लोटा जल चढा़ने से अपने भक्तो पर प्रसन्न हो जाते है। और भक्तो की सारी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं।
पूजन विधि -
* पंचामृत से स्नान करायें।
* केसर के आठ लोटे जल चढ़ाये
* पूरी रात्रि दीपक जालायें।
* चंदन का तिलक लगायें।
* तीन बेलपत्र, भांग धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढा़यें।
अंत में केसर युक्त खीर का भोग लगाकर प्रसाद बांधे।
महत्वपूर्ण मंत्र-
* ओम नमो भवते रूद्राय
* ओम नम: शिवाय रूद्राय नम:
शम्मवाय भवानी पतये नमो नम:
का जाप करें।
दुर्लभ योग -
इस वर्ष 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बन रहा है। 1903 में इस तरह का योग बना था।
विद्वानो के अनुसार अपने राशि मकर व शुक्र अपने राशि मिन में स्थित रहेंगे। इस वर्ष गुरु भी अपनी स्वराशि मिन में विराजमान रहेंगे। अत:सिर्फ पूजा से ही दोष मुक्त हो जाएगा।
वर्जित सामग्री -
* शंख जल, पुष्प, तुलसी, तिल, टूटे चावल व कुमकुम।
वर्जित वाद्य - करताल।
अब मैंने अपने शब्दों में शिव महिमा को कविता का रूप दिया है, अत: आप सभी का प्यार व टिप्पणी अपेक्षित है।
कविता
जय जय हे भोले शिव शंकरआदि शक्ति के तुम हो प्रियवर
भूत बैताल संघ चढ़ी नंदी पर
ब्याह ले आये तुम गौरी घर
नन्दीगण सन्मुख नतमस्तक
नीलकण्ठ पर शोभित बिषधर
आनंदित गजपति मूषक पर
शिव गौरी पूजत नारी नर
ले आई पूजन की थाली
होईं दयाल हे औघड़दानी
देवों में हो महा तुम दानी
अबकी झोली ना जाये खाली
ओम नम: शिवाय जपूंगी
तेरे शरण में हक से रहूंगी
करो कृपा जय जय शिव शंकर
सुनलो पुकार हे दयाशंकर
पार्वती के तुम हो स्वामी
तुम हो हे प्रभु अंतर्यामी
अन्तरमन का हाल तू जाने
महिमा सारी दुनिया माने
शिव रात्रि को जो पूजन करता
पल भर में सब दु:ख शिव हरता
जल लोटा भरी नर जो चढा़वे
दोष मुक्त पलभर में हो जावे
करी उपवास नर तुम्हें मनावे
कन्या कुंवारी मन वांछित फल पावे
योगी संत सब ध्यान लगावे
मोक्ष प्राप्ति के आस लगावे
धन्यवाद पाठकों
रचना-कृष्णावती
Namskar dosto
Poem in English
Maha shivratri2020 poem |
Mahahivratri ka mahatv and poem
Poem
Jai jai he bhole shiv Shankar
Aadi shakti ke tum ho priyvar
Bhut baital sangh chadhi nandi par
Byah le aaye tum gouri ghar
Aadi shakti ke tum ho priyvar
Bhut baital sangh chadhi nandi par
Byah le aaye tum gouri ghar
Nandigan sanmukh natmastak
Nilkanth par shobhit vishdhar
Aanandit gajapati mushak par
Shiv gouri pujat nari nar
Le aai pujan ki thali
Hoin dayal he aughardani
Dewon men ho Maha tum daani
Abki jholi na jaye khali
Omnamh shivay japungi
Tere sharan men hq se rahungi
Karo kripa jaiy jaiy shiv shankar
Sunlo pukar he daya shankar
Parvati ke tum ho swami
Tum ho he prabhu antaryami
Antarman ka hal tu jaane
Mahima Sari duniyan mane
Shivratri ko jo pujan karta
Palbhar men sab dukh shiv harta
Jal lota bhari nar jo chadhave
Dosh mukt palbhar men ho jaave
Kari upvas nar tumhe manawe Kanya kunwari manwanchhit phal pawe
Yogi sant sab dhyan lagawe
Moksh prapti ke aas lagawe.
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