Amitabh bachchan ka sankshipt
Jivan parichay and poem |अमिताभ बच्चन का संक्षिप्त जीवन परिचय और कविता।
Amitabh bachchan and poem |
जीवन परिचय :-
जन्म 11 अक्टूबर 1942
स्थान इलाहाबाद
आवास मुम्बई
नागरिकता भारत
शिक्षा किरोड़ीमल कालेज। दिल्ली यूनिवर्सिटी।
व्यवसाय। फिल्म अभिनेता, राजनेता टेलिविज़न अभिनेता ,गायक।
धर्म। हिन्दू
पत्नी जयाबच्चन
बच्चे अभिषेक बच्चन । श्वेता बच्चन नन्दा ।
माता पिता तेजी बच्चन। हरिवंश राय बच्चन।
पुरस्कार पद्मभूषण, पद्मविभूषण ,बाबा साहेब फाल्के पुरस्कार, सर्व श्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार इत्यादि।
नमस्कार पाठकों ,
अब इनके जीवन यात्रा को मेंने एक कविता का रूप दिया है। आप सभी का प्यार और टिप्पणी अपेक्षित है।
कविता
ना रोक सके दुर्भाग्य कभी
मेहनत, करने वालों का रास्ता।
हार से हार नहीं माना
तब जाके मिली सफलता।
किस्मत की जंजीर तोड़
जंजीर फिल्म बनाया।
इसके बाद एक से एक
फिल्मों की झड़ी लगाया।
फिर मुड़कर ना पीछे देखा
बच्चा बच्चा का बना चहेता।
आज भी जन जन लोहा माने
रहा सदा विजेता।
चार दशक तक फिल्म जगत में
जमें रहे नायकजी।
कई कई पाया पुरस्कार
बने नायक से महानायक जी।
आज जो चेहरा हस्ता दिखता
क ई क ई रात रोया है।
हिम्मत नहीं हारा वह
तब जाके चैन पाया है।
एक समय ऐसा आया जब
मित ने मित्रता निभाई।
हाथ ऐसे थामा जैसे
कृष्ण सुदामा की मिताई।
घायल होने पर निराश हो
चल पड़े राजनीति की राह पर।
राजनीति जब रास ना आई
आये लौट तब अपनी राह पर।
उथल पुथल भले ही हुआ
पर राह तजा ना राही।
अपने पथ पर अडिग रहा
ना कभी रुका राही।
तुम सदा अजर सदा अमर हो
चाहें दुनिया में रहो ना रहो।
मानस पटल पर अमिट रहेगा
वो नाम अमिताभ तुम ही हो।
धन्यवाद पाठकों,
रचना -कृष्णावती कुमारी।
Poem in English ,
Namskar doston,
Poem
Na rok sake durbhagy kabhi
Mehnat Karane walo ka rasta .
Haar Se haar nhi mana
Tab jaake mili safalta.
Kismat ki janjir tod
Janjir Film banaya.
Eske baad ek se ek
Filmo ki jhadi lagaya.
Fir mudkar na pichche dekha
Bachcha bachcha ka bana chaheta
Aaj bhi jan jan loha mane
Raha Sada vijeta.
Chaar dashak tak film jagat men
Jamen rahe nayakji.
Kai Kai paya purskaar
Bane Nayak se maha nayakji
Aaj jo chehra hasta dikhta
Kai kai raat roya hai.
Himmat nhin haara vah
Tab jaake chain paya hai.
Ek samay aisa aaya
Jab mit ne mitrta nibhai.
Haath aise thamha jaise
Krishn Sudama ki mitai.
Ghayal ho nirash chal pade
Rajniti ki raah par.
Rajniti jab raas na aai
Aaye laut tb apni rah par
Uthal puthal bhale hi huwa
Par raah taja na rahi.
Apne path par adig raha
Kabhi na ruka rahi.
Tum sada azar amar ho
Chahen duniya men rho na raho
Maanas patal par amit rahega
Vo naam Amitabh tum hi ho.
Vo naam Amitabh tum tum ho.
Vo naan Amitabh tum hi ho.
Vo naam Amitabh tum tum ho.
Vo naan Amitabh tum hi ho.
Dhanvad pathakon
Rachana--Krishnawati kumari
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें