जब विश्वास परमपिता परमेश्वर पर होऔर कविता।
Jab vishwas parampita parmeshwar par ho and Kavita
Parampita parmeshwar |
Jab vishwas parampita parmeshwar par ho.
अब तो कोई चमत्कार ही हमें बचा सकता है। वर्ना हमारी मौत निश्चित है। क्या आपको बिल्कुल डर नहीं लग रहा ? कहीं आप पागल तो नहीं हो गये हैं?
जब विश्वास परमपिता परमेश्वर पर हो
Jab vishwas parampita parmeshwer par ho.
वो आदमी खूब हँसा और एकाएक उसने म्यान से तलवार निकाल ली! पत्नी अब और परेशान हो गई कि वो क्या कर रहे हैं! तब वो उस नंगी तलवार को अपनी नई नवेली दुल्हन के गर्दन के पास ले आया, इतना पास कि उसकी गर्दन और तलवार के बीच बिल्कुल कम दूरी बची थी क्योंकि तलवार लगभग उसकी गर्दन के पास थी।अब वो अपनी पत्नी से बोला "क्या अब तुम्हें डर लग रहा है ?
Parampita parmeshwar |
पत्नी खूब हँसी और बोली "जब तलवार अपने प्रियतम के हाथ में हो तो मुझे क्या डर!" मैं जानती हूं कि आप मुझे बहुत प्यार करते हैं ! उसने तलवार वापिस म्यान में डाल दी और बोला कि "यही मेरा जवाब है।" मैं जानता हूं कि भगवान मुझसे बहुत प्यार करते हैं,और ये तूफ़ान उनके हाथ में है ! इसलिए मुझे परमपिता परमेश्वर पर अटूट विश्वास है । अगर हम बच गये तो भी परमपिता की कृपा और अगर नहीं बचे तो भी परमामा की कृपा , क्योंकि सब कुछ उस परमपिता परमेश्वर के हाथ में है। और वो कभी कुछ भी गलत नहीं कर सकते! वो जो भी करेंगे हमारे भले के लिए ही करेंगे।" हमेशा विश्वास बनाये रक्खो ! और देखते देखते पल भर में तूफान गायब हो गया। नाव मंजिल तक पहुंचा। दोनों अपने गांव पहुंच गये। व्यक्ति को हमेशा उस परमपिता परमात्मा पर विश्वास रखना चाहिये जो हमारे पूरे जीवन को बदल सकता हैं।
अब मैंने अपने शब्दों में इस पुरी परिस्थिति को एक कविता का रूप दिया है उम्मीद है आप सभी को पसंद आयेगा। आप सभी का प्यार अपेक्षित है।
कविता
Dulha dulhan |
दुल्हन ले दुल्हा चला, जा पहुंचा झील के पास ।
जाना था उस पार नाव में, बैठे दोनों साथ।
नाविक लेकर नाव चला, पहुँचा बीच मझधार ।
अचके में आया तूफान, कैसे जायें उस पार।
साहसी दुल्हा डरा ना तनिक, बैठा रहा मौन ।
डूबती नइया पार लगायेगा, अब आके कौन।
शान्त चित बैठे दुल्हा को, दुल्हन देख घबराय रही ।
ऐसा मर्द कहीं ना देखा, तनिक सिकन ना मुख पर परी।
मन ही मन चितवन लगी, कहीं ये मर्द पागल तो नहीं।
क्षण जीवन का आखिरी, फिर भी कोई गम नहीं।
ब्याकूल हो चित्कार उठी, कैसे हो इन्सान।
मौत नजर के सामने, फिरभी है अभिमान।
एका एक हंसकर उठा, असि निकाला म्यान से।
दुल्हन तब सोचन लगी, लाया इसी अरमान से !
बोला बोलो क्या अब, तुम्हें डर लगता है?
जब असि हाथ पिया के हो, तो भला कौन डरता है।
मानो जीवन ऐसे हीं है, जब कृपा उनकी होय।
जो रखे विश्वास प्रभु पर, बाल बांका ना होय।
प्रभु पर आस्था रखने वालों का कोई बाल बांका
नहीं कर सकता। जैसे तूफान से दोनों को प्रभु के कृपा से पुन:जीवन दान प्राप्त हुआ।
धन्यवाद पाठकों- इतना प्यार देने के लिए।
रचना -कृष्णावती कुमारी
In English
Kavita
Dulhan le dulha chala
ja pahuncha jhil ke paas.
Jaana tha us par naav men.
Baithe dono sath.
Navik lekar naav chala
Pahuncha bich majedhar.
Achke men aaya tufan
Kaise jaye us par.
Sahsi dulha dara n tanik
Baitha raha maun.
Dubti naiya paar lagayega
Ab aake kaun.
Shant chit baithe dulha ko
Dulhan dekh ghabray rahi.
Aisa mard kahin na dekha
Tanik sikan na mukh par Pari.
Man hi man chitwan lagi
Kahin ye mard pagal to nahin.
Kshan jiwan ka aakhiri
Fir bhi koi gam nhin.
Vyakul ho chitkar uthi
Kaise ho insan.
Maut nazar ke Samne
Fir bhi hai abhiman.
Eka ek hans kar utha
Asi nikala Mayan se.
Dulhan tab sochne lagi
Laya isi arman se.
Bola bolo kya ab
tumhe dar lagta hai. ?
Jab asi hath piya ke ho
To bhala kaun darta hai.
Mano jivan aise hin hai
Jab kripa unki hoy.
Jo rakhe vishwas prabhu par
Bal banka na hoy.
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