कोणार्क मंदिर का संक्षिप्त इतिहास
सबसे पहले हम जानेंगे कोणार्क का मतलब:-
कोणार्क दो शब्दों से बना है----कोणार्क का अर्थ है कोणऔर अर्क का अर्थ सुर्य, कोण और अर्क मिलकर बना कोणार्क।
* अब संक्षिप्त इतिहास---
कोणार्क मंदिर ओडिशा के तट पर पुरी से लगभग ३०कि मी की दूरी पर स्थित है। गंगा राजवंश के महान शासक राजा नरसिम्हा देव प्रथम ने इस मंदिर का निर्माण १२४३-१२५५ई के दौरान १२०० कारीगरों की मदद से करवाया था। चूंकि गंग वंश के शासक सुर्य के उपासक थे।
माना जाता है कि भगवान कृष्ण के पुत्र साम्बा श्राप से कोढ़ी हो गये थे। उन्होंने उसके बाद १२ वर्ष तक भगवान सुर्य कीअराधना तपस्या किया। तत्पश्चात वह कोढ़ से मुक्त हो गये और उन्होंने इस मंदिर को साक्षात भगवान सुर्य को साम्मानित करने के लिए बनवाया। मंदिर की दीवारों पर कामुक आंकड़े नक्काशी दार है।यह ओडिशा के वास्तु कला का एक उत्कृष्क नमूना है। यहां प्रति वर्ष कोणार्क महोत्सव में संगीत नृत्य का आयोजन होता है। इस मंदिर को यूनेस्को ने सन् १९८४ में विश्व धरोहर की मान्यता दी। इस मंदिर को ब्लैक पैगोडा नाम से भी जाना जाता है। यहां विदेशी पर्यटकों की भारी संख्या में आवागमन होती रहती है। यहां कलाकारों द्वारा समुद्र के किनारे बालू से बनाया गया आर्ट पर्यटकों का मन मोह लेता है।इसी कड़ी में मैने ओड़िशा की प्रख्याति को चंद पंक्तियो में कविता का रुप दिया है, आप सभी का प्यार अपेक्षित है।
कविता
कला में उतकृष्ट राज्य है ओड़िशा
प्रकृति का है बसेरा।
यही आके अशोक ने
डाला अपना डेरा ।
जगन्नाथ की नगरी पूरी
रतनाकर चरण पखारे ।
डुबती नैया पार लगायें
सबके पालन हारे।
ऐसा प्रेम कही ना देखा
बहन बगल में भाई हैं।
पूजा अर्चना करे नर नारी
गाथा, सारी दुनिया में छाई है।
कहीं राम संग सीता बिराजे
कहीं कृष्ण संग राधे है।
पुरी में बलभद्र के संग में
सुभद्रा बहन बिराजे हैं।
जय जगन्नाथ
रचना-कृष्णावती कुमारी
कविता
कला में उतकृष्ट राज्य है ओड़िशा
प्रकृति का है बसेरा।
यही आके अशोक ने
डाला अपना डेरा ।
जगन्नाथ की नगरी पूरी
रतनाकर चरण पखारे ।
डुबती नैया पार लगायें
सबके पालन हारे।
ऐसा प्रेम कही ना देखा
बहन बगल में भाई हैं।
पूजा अर्चना करे नर नारी
गाथा, सारी दुनिया में छाई है।
कहीं राम संग सीता बिराजे
कहीं कृष्ण संग राधे है।
पुरी में बलभद्र के संग में
सुभद्रा बहन बिराजे हैं।
जय जगन्नाथ
रचना-कृष्णावती कुमारी
यहां संक्रांति के समय सुर्य की पूजा अर्चना का बड़ा महत्व है।
* सुर्य देवता रोगनाशक और इच्छाओं को पूरा करने के लिए सर्व श्रेष्ठ माने जाते हैं।
हवाई मार्ग
* कोणार्क मंदिर की दुरी भुनेश्वर हवाई अड्डे से-
65km।
*प्रमुख शहरों के लिए उड़ान---
भारतीय हवाई जहाज- इंडिगो, गो एयर, एयर इंडिया यह सभी उड़ाने प्रति दिन उपलब्ध है।
रेल मार्ग साधन:
*निकटतम रेलवे स्टेशन -भुवनेशवर है।
भुवनेश्वर से 65 km की दूरी पर है।
* पूरी से दूरी 35 कि मी की है।यह मैरीन ड्राइव रोड पर स्थित है।
* पूरी और भुवनेश्वर के लिए कोलकाता, न्यू दिल्ली, चेन्नई, बंगलौर , मुम्बई प्रमुख शहरों के लिए सुपर फास्ट ट्रेन है जिसके माध्यम से कोणार्क मंदिर पहुंचा जा सकता है।
बस टैक्सी मार्ग---
* भुवनेश्वर से पिपली के रास्ते 65 कि मी लम्बा रास्ता
Time 2hours( समय दो घंटे) लगते है।
* पूरी से दूरी--- time 1 hour(समय एक घंटा ) लगता है।
धन्यवाद पाठकों,
रचना -कृष्णावती कुमारी
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