प्रणाम रउरा सभे के,
सतुआन परब के ढेरो बधाई।
सतुआन परब बिहार के।
#Stay_at_home_to_be_a_safeSatuwa khat photo |
आज दिनांक 14.4.20 सउंसे पूर्वांचल में सतुआनी के पर्व मनावल जा रलह बा। आजू के दिन भोजपुरिया लोग खाली सतुआ आ आम के टिकोरा के चटनी खाला। साथे-साथ कच्चा पियाज, हरिहर मरिचा आ आचार भी रहेला।
ए त्योहार के मनावे के पीछे के वैज्ञानिक कारण भी बा। इ खाली एगो परंपरे भर नइखे। असल में जब गर्मी बढ़ जाला, आ लू चले लागेला तऽ इंसान के शरीर से पानी लगातार पसीना बन के निकलले लागेला। तऽ इंसान के थकान होखे लागे ला.
रउआ जानते बानी भोजपुरिया मानुस मेहनतकश होखेला। अइसन में सतुआ खइले से शरीर में पानी के कमी ना होखेला। अतने ना सतुआ शरीर के कई प्रकार के रोग में भी कारगर होखेला ।
*पाचन शक्ति में कारगर ।
*लू से प्याज बचावेला।
माई कहीहें बाबू गर्मी में प्याज खईला से लू ना लागेला। खाईल पचावे में पीयाज मदद करेला। पीयाज हरदम खायेके चाही।
पाचन शक्ति के कमजोरी में जौ के सतुआ लाभदायक होखेला। आ कुल मिला के अगर इ कहल जाए कि सतुआ एगो संपूर्ण, उपयोगी, सर्वप्रिय आ सस्ता भोजन हऽ जेकरा के अमीर-गरीब, राजा-रंक, बुढ़- पुरनिया, बाल-बच्चा सभे चाव से खाला। असली सतुआ जौ के ही होखेला बाकि केराई, मकई, मटर, चना, तीसी, खेसारी, आ रहर मिलावे से एकर स्वाद आ गुणवत्ता दूनो बढ़ जाला।
सतुआ के घोर के पीलय भी जाला, आ एकरा के सान के भी खाइल जाला. दू मिनट में मैगी खाए वाला पीढ़ी के इ जान के अचरज होई की सतुआ साने में मिनटों ना लागेला. ना आगी चाही ना बरतन. गमछा बिछाईं पानी डाली आ चुटकी भर नून मिलाईं राउर सतुआ तइयार.. रउआ सभे के सतुआनी के बधाई. कम से कम आज तऽ सतुआ सानी सभे.
सतुआ खा के मन मियाज तर हो गईल। अब आई एगो भोजपुरी सतुवान कविता के आनंद उठावल जाव।
onion chilli photo |
मकई जौ चन्ना के सतुवा
जब महकेला भईया।
ये भौजी तनी चटनी पीस
खाईब बईठ पीढ़ईया
लहसुन अमिया के संग मरीचा
नून डलीह चटखार।
टुकड़े टुकड़े पीयाज के कटीह
संघहीं दीह आचार।
थरीया भर सतुवा जब सननी
सगरो घर बिटोराईल।
काका भईया बड़का बाबुजी
दुअरा से सब आईल।
अईसन सोन्ह महकल सतुआ की,
खींच के पास ले आईल।
हमहुं खाईब अधिके सनीह
मन हमरो ललचाईल।
सतुवा के खुमार चढ़ल जब
पेट में धीरे गरूहाईल।
लोटे लोटे पानी पीयत
तख्त पर सभे पटाईल।
भरी दुपहरी सतुआ पचल
फोफ खींच के दुअरा।
अंगना आईल हसत बोलत
पचा के सतुवा भुवरा।
गर्मी के संग लू चले जब
सतुआ घोरी पीयल जाला।
आ करीया नुन के संघई
पीयाज कुतुर के डालाला।
लू कबहुं पजरे ना आई,
जे गर्मी भर सेवन करी ।
मस्त मियाज हरिहर रही
जे मनई ई अमल करी।
जय बिहार, जय भोजपुरी।
धन्यवाद पाठकों,
रचना- कृष्णावती कुमारी
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