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रविवार, 19 अप्रैल 2020

Jane Hanumanji ka grihasth Jivan. जाने हनुमान जी का गृहस्थ जीवन ।

                       जय श्री राम 

नमस्कार दोस्तों,
Jane Hanumanji ka grihasth jivan

Hanumanji Photo 

जाने हनुमान जी का गृहस्थ जीवन। 

       हम सभी यहीं मानते है कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी है, परन्तु यह भी उतना ही सच है कि हनुमान जी का विवाह भी हुआ था।

आंध्रप्रदेश के खम्मम जिले में बना हनुमान जी का यह मंदिर काफी मायनों में खास है। यहां हनुमान जी अपने ब्रह्मचारी रूप में नहीं बल्कि गृहस्थ रूप में अपनी पत्नी सुवर्चला के साथ विराजमान है।

Jane Hanumanji ka grihasth Jivan

Photo Hanuman pati patni


हनुमान जी के सभी भक्त यही मानते आए हैं की वे बाल ब्रह्मचारी थे और वाल्मीकि, कम्भ, सहित किसी भी रामायण और रामचरित मानस में बालाजी के इसी रूप का वर्णन मिलता है। लेकिन पराशर संहिता में हनुमान जी के विवाह का उल्लेख है। इसका सबूत है आंध्र प्रदेश के खम्मम ज़िले में बना एक खास मंदिर जो  हनुमान जी की शादी का प्रमाण है।

यह मंदिर याद दिलाता है हनुमान जी  के उस चरित्र का जब उन्हें विवाह के बंधन में बंधना पड़ा था। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि भगवान हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी नहीं थे। पवनपुत्र का विवाह भी हुआ था और वो बाल ब्रह्मचारी भी थे।

आइए जानते हैं  हनुमानजी के विवाह  करने का कारण-: 

कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण ही बजरंगबली को सुवर्चला के साथ विवाह बंधन में बंधना पड़ा। दरअसल हनुमान जी ने भगवान सूर्य को अपना गुरु बनाया था।
हनुमान, सूर्य से अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। सूर्य कहीं रुक नहीं सकते थे इसलिए हनुमान जी को सारा दिन भगवान सूर्य के रथ के साथ -साथ उड़ना पड़ता था।  और भगवान सूर्य उन्हें तरह-तरह की विद्याओं का ज्ञान देते जा रहे थे।  लेकिन हनुमान जी को ज्ञान देते समय सूर्य के सामने एक दिन धर्मसंकट खड़ा हो गया!

कुल 9 तरह की विद्या में से हनुमान जी को उनके गुरु ने पांच तरह की विद्या तो सिखा दी। लेकिन बचीं चार तरह की विद्या और ज्ञान ऐसे थे जो केवल किसी विवाहित को ही सिखाए जा सकते थे।

हनुमान जी पूरी शिक्षा लेने का प्रण कर चुके थे और इससे कम पर वो मानने को राजी नहीं थे। इधर भगवान सूर्य के सामने संकट था कि वह धर्म के अनुशासन के कारण किसी अविवाहित को कुछ विशेष विद्याएं नहीं सिखला सकते थे।
Jane Hanumanji ka grihasth Jivan

Hanumanji photo 



ऐसी स्थिति में सूर्य देव ने हनुमान जी को विवाह की सलाह दी। और शिक्षा प्राप्त करने के  प्रण को पूरा करने के लिए हनुमान जी  विवाह सूत्र में बंधकर शिक्षा ग्रहण करने को तैयार हो गए। लेकिन हनुमान जी के लिए दुल्हन कौन हो,यह बहुत बड़ी समस्या थी।  और कहां से वह मिलेगी इसे लेकर सभी चिंतित थे।

सूर्य देव ने अपनी परम तपस्वी और तेजस्वी पुत्री सुवर्चला को हनुमान जी के साथ शादी के लिए तैयार कर लिया। इसके बाद हनुमान जी ने अपनी शिक्षा प्राप्ति  की ओर  निकल पड़े। तत्पश्चात  सुवर्चला सदा के लिए अपनी तपस्या में लीन हो गईं।

इस तरह हनुमान जी भले ही विवाह  के बंधन में बंध गए । लेकिन शारीरिक रूप से वे आज भी एक ब्रह्मचारी ही हैं। पाराशर संहिता में  लिखा गया है "कि खुद सूर्यदेव ने इस शादी पर यह कहा कि – यह शादी ब्रह्मांड के कल्याण के लिए ही हुई है और इससे हनुमान जी का ब्रह्मचर्य भी प्रभावित नहीं हुआ।"

                   
     

                        जय श्री राम 

                         धन्यवाद पाठकों 

                         संग्रह -कृष्णावती कुमारी 

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