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शुक्रवार, 20 मार्च 2020

NIRBHAYA divas par kavita poem 20march2020. निर्भया दिवस पर कविता। 20मार्च2020।

नमस्कार दोस्तों, 
NIRBHAYA divas par kavita poem 20march2020.
निर्भया दिवस पर कविता। 20मार्च2020।


ऐसे तो दिल्ली के दिल पर ये पहली दाग नहीं है।  न जाने कितने मासूमों  के साथ ऐसी  दरिन्दगी  होती रहती है। परन्तु  सभी  माँ बाप निर्भया  के मां  बाप जैसे  हिम्मती नहीं  है। कुछ को तो लोगों की पड़ी रहती है। लोग क्या कहेंगे यह सोच कर पुरी ज़िन्दगी  नही जी पाते हैं  नहीं  मर पाते। 

16 दिसम्बर 2012 को  गुजरे 7 साल हो गये। भले ही आज 20मार्च 2020को दोषियों को फाँसी  मिल गयी। परन्तु आज भी एक गुनाहगार बाहर घूम  रहा है क्योंकि वह नाबालिग है। नाबालिग ही इस वारदात का  मुखिया था। उसे भी इसी तरह सजा मिलनी चाहिए।  आज भी  वह वेखौफ घूम रहा है।  सबसे ज्यादा  इस मासूम कली को नाबालिग  नुकसान पहुंचाया  था।  जंग लगे राड से आंत को बारह निकाला था। भगवान तुझे भी सजा देगा। 

आज का दिन दिनांक 20मार्च2020  इतिहास के पन्नों पर  दर्ज हो  गया । देश की सभी बेटियाँ और महिलायें  आज के  दिन को  जश्न के रुप में  मनायेंगी। 
अब   दरिन्दे दरिन्दगी करने से पहले  एक बार इन चारों  को याद जरूर करेंगे।  न्याय दिलाने वाले  जज एवं वकिल साहिबा और देश के सभी जनता को सहृदय धन्यवाद । ,प्रत्यक्ष परोक्ष  जिन लोगों ने  सहयोग किया  सभी के लिए आज का दिन  उत्सव  का दिन है। 
  

आइए  इस हर्ष  को एक कविता पाठन के साथ मनाया 
 जाय।  आप सभी का प्यार अपेक्षित है। 
NIRBHAYA divas par kavita and kavita
NIRBHAYA divas par kavita 


                निर्भया दिवस पर कविता 

    
           नई सुबह के संग सूरज
           खुशियां लाया आज।
           धन्य  धरा  धन्य गगन हुआ,
           धन्य हुआ  गणराज्य।

          माता आशा, आशा रखके,
          सात साल गवाईं।
          धैर्य की चादर ओढ़े आशा,
          रैन दिन बिताई।

         ज़ज्बा तेरे जैसे माता
         तेरे जैसे हिम्मत हो।
         तेरी जैसी माता,
         सब बेटियों के किस्मत में हो।

         आज निर्भया स्वर्ग से देख,
         फूले नहीं समाती होगी।
         चढ़ गये सब दोषी सूली पर,
         जश्न वही मनाती होगी।
     
Nirbhaya divas par kavita and poem
Faansi scene 

        20 मार्च  स्वर्णिम अक्षर में,
        अंकित हो गया भैया।
         हर्षित भारत माता हुईं,
         हर्षित बेटियों की मैया।

         लड्डू पेड़ा गांव नगर में,
         खूब बटे है भैया।
         ढोल नगारे संग गावे
         नाचे ताता थैया।

         कृष्णा के संग सखियां झूमे
         खुशियां उफन के बाहर आये।
         हे भगवान  विनती यही है
         इस भंवर में, अब  कोई नार ना जाये।

         सैल्यूट मेरा  वकील साहिबा को
         सैल्यूट  जज साहब को।
         सैल्यूट सारी जनता को
         सैल्यूट मेरा निर्भया को।
       
       धन्यवाद -पाठकों,
        रचना -कृष्णावती कुमारी

       
       

          


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