धोनी पर कविता / Poems on Dhoni - Krishna Official

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शुक्रवार, 3 जनवरी 2020

धोनी पर कविता / Poems on Dhoni

नमस्कार दोस्तों,
हमारे हिन्दी आर्टिकल में आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है। आज के  इस आर्टिकल में एक ऐसे व्यक्तित्व का वर्णन है जो आपको कविता के अंत में उजागर होगा। आइए जानते है वह महान हस्ती कौन हैं?
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खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे
बनोगे नवाब। आज  खेल के आगे ये कहावत
 बिल्कूल  गलत साबित हो गई है। आज हर बच्चा महेंद्र सिंह धोनी बनना चाहता है। 
मैंने इनके जोश व जुनून को एक कविता का रूप  दिया है उम्मीद है आप सभी को पसंद आयेगी। अतः अपना प्यार बनाये रखें।

                           धोनी पर कविता
   
एक था बालक बड़ा ओजस्वी
जुनून से रग रग भरा   हुआ 
खेल ही उसका सोवन जागन
खेल ही सिर पर  चढ़ा  हुआ

                                  पिता कहें कुछ पढ़ लो बेटा
                                  काम आयेगा जीवन में
                                   मिल जावे सरकारी नौकरी
                                   सफल  हो जावे  जीवन में

रेल विभाग  में मिली नौकरी
रास   उसे  ना  आई
त्याग दिया  फिर लौट गया वो
अपने  पथ  को  भाई

                                 इन्तज़ार था जिस  पल  का
                                 वो घड़ी  एक  दिन आई
                                चयनित हो गया खेल में जब वो
                                हवा में गेंद   उड़ाई

गूंजा क्रीड़ांगन  बल्ले से
जब  चौंका छक्का  बरसे
मचा  धूम हर जन जन में
तब सारी जनता  हरषे

                                  जब उतर जाये  बल्ला ले पीच
                                  मचे  खलबली  प्रतिद्वंद्वी  बीच
                                  उसकी चुप्पी  कुछ  कह जाये
                                  कभी  खेल  में  ना घबराये

 चांद सा चमका  सुर्य सा धमका
रांची का वासी  निकला
नाम  महेंद्र सिंह धोनी
क्रिकेट  का जांबाज  निकला
                                               
नोट-- हमारे प्यारे सबके दुलारे के जुनून से हमारे सभी अभिभावक गण और मेरे  प्यारे दुलारे  नौनिहालों को  मोबाइल और सीरियल  से  महत्वपूर्ण  बातें  सिखनी चाहिए। आज इंटरनेट की दुनिया में  अच्छा बुरा सब है। आपको अच्छी बाते और आचरण को अपनाना चाहिए जो आपके जीवन को सफल बनाये। जीवन को सवार दे।            
               धन्यवाद पाठकों
               रचना-कृष्णावती  कुमारी                                        



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