| मकर संक्रान्ति हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है।इस साल यह   १५ जनवरी को मनाया जाएगा। यह पर्व पूरे देश में  अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। इसमें एक बहुत ही रोचक मान्यता बाबा गोरखनाथ की है। खिलजी के साथ आक्रमण के समय समयाभाव के कारण एक साथ दाल चावल सब्जी पकाने की सलाह दी। इसीलिए गोरखनाथ बाबा को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा है  अनेकों मान्यताओं के अनुसार अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से  यह  त्योहार मनाया जाता है। 
 
 कविता
 बारह राशियां  सुर्य संक्रांति में
 
 
महत्वपूर्ण चार माना जाता है। 
मेष कर्क तुला मकर, 
इन्हीं चारों का नाम आता है। 
     
शुभ मुहूर्त मान मकर संक्रांति, 
डुबकी गंगा में लगाने। 
दान पुण्य की महिमा यारों, 
सारी दुनिया जाने। 
 
दक्षिण से होकर जब सूरज, 
मकर राशि में जाते है। 
जन जन हर्षित होकर, 
खिचड़ी का भोग लगाते है। 
 
गुड़ तिल से लड्डू गजक , 
रेवड़ी प्रसाद बनाते है। 
आस पड़ोस में बांट बांट कर, 
खुशियां सभी मनाते हैं। 
 
कहीं दिन में कहीं रात में, 
खिचड़ी लोग बनाते हैं। 
चावल काली तिल और, 
सब्जी के साथ पकाते है। 
 
सफेद चावल प्रतीक चन्द्र का, 
काली तिल शनि हैं। 
सब्जियां बुद्ध से रिश्ता रखतीं, 
सुर्य मंगल जलती गर्मी है। 
 
जो विधिवत से खिचड़ी खाये, 
इस दिन मानो भईया। 
ग्रहों की क्या मजाल, 
रोके तेरी जीवन नैया। 
 
भीष्म पितामह ने भी इस पल, 
का इन्तज़ार किया। 
जब आये सूरज मकर राशि में, 
प्राण तब त्याग दिया। 
 
कहते है इस दिन विष्णु भी, 
असुरों का संघार किये। 
घोषणा कर युद्ध समाप्ति का, 
सिर सबका मंदार तल दबा दिये। 
 
कहीं बिहु पर  थिरके जन जन, 
कहीं लोहड़ी मनता है। 
कहीं पोंगल में मस्त मगन मन, 
झुमत सब जनता है। 
धन्यवाद पाठकों
 रचना-कृष्णावती
 
 
 
 
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