Varansi ka sankshipt itihas/वाराणसी का संक्षिप्त इतिहास। काशी पर कविता - Krishna Official

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रविवार, 26 जनवरी 2020

Varansi ka sankshipt itihas/वाराणसी का संक्षिप्त इतिहास। काशी पर कविता

वाराणसी का संक्षिप्त इतिहास :-
Kashi par kavita n varansi ka sankshipt parichay

Kashi par kavita

वाराणसी संसार के बसे सभी शहरों में से सबसे प्राचीनतम है। यह भारत का महत्वपूर्ण धर्म स्थल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार काशीनगर की  स्थापना लगभग 5000वर्ष पूर्व भगवान शिव ने अपने त्रिशूल पर किया था। यह हिन्दूओ का सबसे पवित्र स्थल है। यह हिन्दूओ के सप्तपुरियों में एक है। 

महाभारत में वाराणसी का वर्णन वेदव्यास जी ने भी एक गद्य में वर्णन किया है :-

* गंगा तरंग रमणीय जातकलाप नाम

   गौरी निरंतर विभूषित वामभागम  

    नारायण प्रियम अनंग महापहारम 

    वाराणसी पुर पतिमभज विश्वनाथम ।

मतस्य पुराण में शिव जी कहते है :-

वाराणस्या नदी पु सिदधगन्धर्व सेविता।
प्रविष्टात्रिपदा गंगा तस्मिन क्षेत्रे मम प्रिये।।

अर्थात:- सिद्ध गंधर्वो से सेवित वाराणसी में जहां पुण्य नदी त्रिपथका आता है, वह क्षेत्र मुझे प्रिय है। [16]

ब्रह्म पुराण में भगवान शिव पार्वती जी से कहते है ।:-हे प्रिये, वरणा और असि इन दोनो नदियों के बीच में ही वाराणसी क्षेत्र है। उसके बाहर किसी को नहीं बसना चाहिए। 


स्कंद पुराण में 15000श्लोकों में काशी  नगरी का वर्णन  मिलता है। जिसमें एक श्लोक में भगवान शिव कहते हैं :-तीनों  लोकों से समाहित एक शहर है, जिसमें स्थित मेरा निवास प्रसाद है। 


वाराणसी की विशेषता-

भगवान शिव की नगरी, मंदिरों का शहर, ग्यान की नगरी और न जाने कितने नामों से सम्बोधित किया जाता है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत बानारस घराना की उत्पति यही से हुई है। यहा की गायकी अति  कर्ण प्रिय होती है। भारत के कई दार्शनिक,  लेखक,कवि,बनारस में ही रहे है। जिनमें मुख्य संत कवीर,बल्लभाचार्य,स्वामी रामानंद, रविदास, मुंशी प्रेम चंद्र, जयशंकर प्रसाद, रामचंद्र शुक्ल, पं हरिप्रसाद चौरसिया, पं रविशंकर, गिरिजा देवी और रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसी दास यही रहे थे।

प्रसिद्ध मंदिर :-

* हनुमान मंदिर 
* विश्व नाथ मंदिर 

बानारस में चार  विश्वविद्यालय स्थित है :-

* बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय 
* महात्मा गांधी काशी पीठ 
* सेन्ट्रल इन्सीटीयुट आँफ स्टडी 
* संपूर्णानंद संसकृत विद्यालय 

प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक टवेन द्वारा :-

बनारस इतिहास से भी पुराना है। परंपराओं से भी पुराना है। किंवदंतियों से भी पुराना है। यदि इन सभी को एकत्रित कर दिया जाय तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।

अब मैंने इस पवित्र स्थली को शब्दों में बांधने की छोटी सी कोशिश किया है, आप सभी का स्नेह अपेक्षित है। 


                काशी पर कविता 

varansi ganga aarti


भोले नाथ की नगरी काशी
घाटों का यहाँ  बसेरा  
संध्या करें श्रृंगार दीपों से 
तब हो नया सबेरा  

यह सिर्फ शहर नहीं 
मानो एक एहसास हो
जन जन के दिलों में बसता 
काशी जिसका नाम हो 

कई कई घाट कई हैं मंदिर 
जिह्वा पर देव वाणी 
लस्सी, लड्डू और, पान 
बनारसी सुन्दर  साड़ी 

दर्शन, योग, धर्म और 
अध्यात्म का केन्द्र है काशी 
घाट घाट पर मोक्ष की खातिर 
बने हैं काशी वासी 

प्राण त्यागे जो इस नगरी 
जनम मरण छुट जावे 
धरा लोक से देव लोक तक 
तीनों धाम गुण गावे
           

             धन्यवाद पाठकों

             रचना -कृष्णावती कुमारी 


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