वाराणसी का संक्षिप्त इतिहास :-
Kashi par kavita |
वाराणसी संसार के बसे सभी शहरों में से सबसे प्राचीनतम है। यह भारत का महत्वपूर्ण धर्म स्थल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार काशीनगर की स्थापना लगभग 5000वर्ष पूर्व भगवान शिव ने अपने त्रिशूल पर किया था। यह हिन्दूओ का सबसे पवित्र स्थल है। यह हिन्दूओ के सप्तपुरियों में एक है।
महाभारत में वाराणसी का वर्णन वेदव्यास जी ने भी एक गद्य में वर्णन किया है :-
* गंगा तरंग रमणीय जातकलाप नाम
गौरी निरंतर विभूषित वामभागम
नारायण प्रियम अनंग महापहारम
वाराणसी पुर पतिमभज विश्वनाथम ।
मतस्य पुराण में शिव जी कहते है :-
वाराणस्या नदी पु सिदधगन्धर्व सेविता।
प्रविष्टात्रिपदा गंगा तस्मिन क्षेत्रे मम प्रिये।।
अर्थात:- सिद्ध गंधर्वो से सेवित वाराणसी में जहां पुण्य नदी त्रिपथका आता है, वह क्षेत्र मुझे प्रिय है। [16]
ब्रह्म पुराण में भगवान शिव पार्वती जी से कहते है ।:-हे प्रिये, वरणा और असि इन दोनो नदियों के बीच में ही वाराणसी क्षेत्र है। उसके बाहर किसी को नहीं बसना चाहिए।
स्कंद पुराण में 15000श्लोकों में काशी नगरी का वर्णन मिलता है। जिसमें एक श्लोक में भगवान शिव कहते हैं :-तीनों लोकों से समाहित एक शहर है, जिसमें स्थित मेरा निवास प्रसाद है।
वाराणसी की विशेषता-
भगवान शिव की नगरी, मंदिरों का शहर, ग्यान की नगरी और न जाने कितने नामों से सम्बोधित किया जाता है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत बानारस घराना की उत्पति यही से हुई है। यहा की गायकी अति कर्ण प्रिय होती है। भारत के कई दार्शनिक, लेखक,कवि,बनारस में ही रहे है। जिनमें मुख्य संत कवीर,बल्लभाचार्य,स्वामी रामानंद, रविदास, मुंशी प्रेम चंद्र, जयशंकर प्रसाद, रामचंद्र शुक्ल, पं हरिप्रसाद चौरसिया, पं रविशंकर, गिरिजा देवी और रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसी दास यही रहे थे।
प्रसिद्ध मंदिर :-
* हनुमान मंदिर
* विश्व नाथ मंदिर
बानारस में चार विश्वविद्यालय स्थित है :-
* बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
* महात्मा गांधी काशी पीठ
* सेन्ट्रल इन्सीटीयुट आँफ स्टडी
* संपूर्णानंद संसकृत विद्यालय
प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक टवेन द्वारा :-
बनारस इतिहास से भी पुराना है। परंपराओं से भी पुराना है। किंवदंतियों से भी पुराना है। यदि इन सभी को एकत्रित कर दिया जाय तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।
अब मैंने इस पवित्र स्थली को शब्दों में बांधने की छोटी सी कोशिश किया है, आप सभी का स्नेह अपेक्षित है।
काशी पर कविता
varansi ganga aarti |
भोले नाथ की नगरी काशी
घाटों का यहाँ बसेरा
संध्या करें श्रृंगार दीपों से
तब हो नया सबेरा
यह सिर्फ शहर नहीं
मानो एक एहसास हो
जन जन के दिलों में बसता
काशी जिसका नाम हो
कई कई घाट कई हैं मंदिर
जिह्वा पर देव वाणी
लस्सी, लड्डू और, पान
बनारसी सुन्दर साड़ी
दर्शन, योग, धर्म और
अध्यात्म का केन्द्र है काशी
घाट घाट पर मोक्ष की खातिर
बने हैं काशी वासी
प्राण त्यागे जो इस नगरी
जनम मरण छुट जावे
धरा लोक से देव लोक तक
तीनों धाम गुण गावे
धन्यवाद पाठकों
रचना -कृष्णावती कुमारी
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