यह पोस्ट सभी आयु वर्ग के लिए
(सियावर राम चन्द्र की जय)
घटना का वर्णन वाल्मीकि रामायण के अनुसार है--राम रावण युद्ध समाप्त हो चुका है । हनुमान जी , सीता जी के पास जाते हैं और यह समाचार देते हैं -
हनुमान जी पूछते हैं, माता , अब बाक़ी बचे हुए राक्षसों का क्या किया जाए ? क्योंकि बचे खुचे राक्षस बहुत ही भयभीत हैं ।
सीता जी कहती हैं की “ क्षमा दे दो “ ।
हनुमान जी कहते हैं, ऐसा क्यों माता ?
सीता : भूल तो सभी करते हैं और जो उस भूल का पश्चाताप करते हैं उन्हें क्षमा कर देना चाहिए ।
हनुमान जी की आँखों में प्रेम के आँसू थे ।
सीता जी बोली ..भूलें तो मुझसे भी हुई ..
आपसे भूल ? हनुमान जी को आश्चर्य हुआ
सीता जी बोली , हाँ हनुमान जी मुझसे एक नहीं तीन भूलें एक ही दिन हुईं ।
हनुमान जी प्रश्नवाचक अवस्था में आ गए ।
सीता जी बोली ;
01. पहली भूल , सोने का मृग देखकर मुझमें उसके चर्म को पाने की कामना जगी और मैंने राम को उसके पीछे , स्त्री हठ करके भेजा ।
02. दूसरी भूल हुई , मारीच की आवाज़ सुनने के बाद , मैंने लक्ष्मण की बात सुननी बन्द कर दी । और लक्ष्मण जी को बुरा भला कहकर बाहर भेज दिया ।
03. और तीसरी सबसे बड़ी भूल करी की मैंने देखा एक हट्टा कट्टा व्यक्ति बाहर आया , मैंने देखा की उसने गेरूआ कपड़ा पहना है , शिखा सूत्र पहने हुए है और मेरी प्रशंसा करें जा रहा है । अपनी प्रशंसा सुनने के बाद मैं अपना विवेक खो बैठी । और भयानक भूल करते हुए जोगी भेषधारी राक्षस रावण के चंगुल में फँस गई ...
कथा का तात्पर्य निश्चय..
आज भी विधर्मी मुन्ना , गुड्डू , नन्हे , पप्पू, छोटे इत्यादि के नाम से , बढ़िया ट्रेंडी बाल कटवा कर , क्रीम स्रीम पोतकर और वॉलीवुडिया डॉयलॉग्स रटकर सनातनी बच्चियों को अपने चंगुल में डाल रहे हैं ।
सनातनी स्त्रियाँ भी सोने के मृग के कारण घर में कलह न करें , पड़ोसी के वहाँ 52 इंच की टीवी और आपके पास 32 इंच की तो उसके कारण घर में कलह न करें ।
कथाएं , आपको जीवन में सीख देने के लिए हैं और जीवन को आगे उन्नत बनाने के लिए हैं ।
मैंने संकेत दे दिया है । बच्चियाँ और स्त्रियाँ भी , मुन्ना नामधारी विधर्मियों से बचें ।
धन्यवाद पाठकों,
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