Namaskar doston
Sarswatiji ki utpati kaise hui :-
Sarswati vandana geet |
देवी सरस्वती का संक्षिप्त परिचय :-
वेद पुराणों के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष तिथि पंचमी को मांँ सरस्वती का जन्म हुआ था। तभी से माघ पंचमी के दिन प्रति वर्ष सरस्वती पूजा मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी ने अपनी बनाई हुई श्रृष्ठि को देखा तो उन्हें लगा कि उनकी श्रृष्ठि मृतप्राय है,बिकुल शान्त है। इनमें ना तो कोई स्वर है नाही वाणी।
अपनी ऐसी श्रृष्ठि को देखकर ब्रह्मा जी निराश हो गये।फिर ब्रह्मा जी भगवान विष्णु के पास गये। अपनी उदासीन श्रृष्ठि के विषय में चर्चा किये। विष्णु भगवान ब्रह्मा जी की समस्या को सुनकर बोले हे! ब्रह्मा जी आप देवी सरस्वती का आह्वान करें। वहीं आपकी समस्या का समाधान करेंगी।
भगवान विष्णु के परामर्शानुसार ब्रम्हा जी ने देवी सरस्वती का आह्वान किया। तत्पश्चात देवी सरस्वती हाथों में वीणा लेकर प्रकट हुई। ब्रह्मा जी ने उनसे अनुरोध किया। हे! देवी अपनी वीणा से श्रृष्ठि में स्वर भरने की कृपा करें। जैसे ही देवी सरस्वती ने वीणा का तार स्पर्श किया, सा स्वर फूट पड़ा। यही से सा प्रथम स्वर की उत्पत्ति हुई। सा स्वर के कम्पन से ब्रह्माजी के मूक श्रृष्ठि में ध्वनि का संचार हुआ। ब्रह्मा जी के मुख पर प्रसन्नता छा गई।
सागर को, हवाओं को, पशु पक्षियों को एवं अन्य जीवों को वाणी मिल गई। नदियों से कलकल की ध्वनि फूटने लगी। उन्होंने माता सरस्वती को वाणी की देवी का नाम दिया। बागेश्वरी नाम दिया। हाथों में वीणा धारण करने के कारण उनका नाम वीणा पाणि भी है। अब आइए हम सभी माँ सरस्वती की आराधना एक सुन्दर सरस्वती वंदना से प्रारंम्भ करते हैं।
saraswati vandana geet |
सरस्वती वंदना गीत
वीणा वादिनी तुझे प्रणाम
कोई रागिनी छेडे़ अनाम, कोई रागिनी छेड़े अनाम
कोई रागिनी छेड़े अनाssssम।
वीणा वादिनी तुझे प्रणाम।
श्वेत हंस पर मातु विराजे
कर कमलो में वीणा साजे
पग में गंगा बहे अविराम, पग में गंगा बहे अविराम
पग में गंगा बहे अविराssssम
वीणा वादिनी तुझे प्रणाम।
स्वर मंडल के तार सजा दे
हृदय मेंss हलचल सी मचा दे
झुम उठे जहाँ तीनों धाम, झुम उठे जहाँ तीनो धाम
झुम उठे जहाँ तीनों धाssssम
वीणा वादिनी तुझे प्रणाम।
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