आज मैं खुश हुई
Bharat mata par kavitaकविता |
मै भारत मा हूं।
वर्षों से बेटियां
दरिंंदो के हाथों,
बलि चढ़ रहीं थीं,
आज दारिंदे बलि चढ़े
आज मैं खुश हुई।
वर्षों से करोड़ों बेटे मौन थे।
आज कुछ बेटे आगे आए,
बेटे होने का फर्ज निभाया
भाई होने का फर्ज अदा किया
राखी का कर्ज चुकाया
आज मै खुश हुई ।
बड़ा दर्द था सीने में
जब जब अस्मद लूटा गया,
असहाय अपने ही गोद में,
देखती रहीं, कब कौन बेटा,
आगे आएगा और मेरी,
बेटी को बचायेगा,
क्या करती?
हाथ पैर तो है नहीं।
आज हैदराबादी बेटों ने,
दूध का कर्ज चुकाया,
मै खुश हुई।
बेटों, बस इतनी विनती,
कभी, किसी बेटी का अस्मद
कोई लूट ना पाए,
कभी कोई आंखे,
बेटियों को घुर ना पाए,
ऐसी सजा तय कर दो,
ताकि कभी दरिंदगी,
पनप ना पाए,
दरिंदगी पनप ना पाए,
दरिंदगी पनप ना पाए।
धन्यवाद पाठकों
रचना_कृष्णावती कुमारी
आज दारिंदे बलि चढ़े
आज मैं खुश हुई।
वर्षों से करोड़ों बेटे मौन थे।
आज कुछ बेटे आगे आए,
बेटे होने का फर्ज निभाया
भाई होने का फर्ज अदा किया
राखी का कर्ज चुकाया
आज मै खुश हुई ।
बड़ा दर्द था सीने में
जब जब अस्मद लूटा गया,
असहाय अपने ही गोद में,
देखती रहीं, कब कौन बेटा,
आगे आएगा और मेरी,
बेटी को बचायेगा,
क्या करती?
हाथ पैर तो है नहीं।
आज हैदराबादी बेटों ने,
दूध का कर्ज चुकाया,
मै खुश हुई।
बेटों, बस इतनी विनती,
कभी, किसी बेटी का अस्मद
कोई लूट ना पाए,
कभी कोई आंखे,
बेटियों को घुर ना पाए,
ऐसी सजा तय कर दो,
ताकि कभी दरिंदगी,
पनप ना पाए,
दरिंदगी पनप ना पाए,
दरिंदगी पनप ना पाए।
धन्यवाद पाठकों
रचना_कृष्णावती कुमारी
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