जीवन में संगीत का महत्व
संगीत उच्च कोटि की कला है। प्राचीन समय से ही संगीत हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। मनुष्य की प्रत्येक क्रिया ही संगीत है। इतना ही नहीं परम पिता परमेश्वर ने संगीत का गुणगान किया है--
नाहं वसामि बैकुंठे, योगीनां हृदय न च।
मद्भक्ता यत्र गायन्ति, तत्र तिष्ठामि नारद।
अर्थात विष्णुजी कहते है___हे नारद! न बैकुंठ में निवास करता हूं,न मैं योगियोंके हृदय में निवास करता हूं, मैं वहां रहता हुं जहां भक्त मेरा गुणगान करते हैं।
प्रसिद्ध लेखक एडिसन द्वारा_----
संगीत एक ऐसी दवा है जो स्वर्ग से प्राप्त धरती वासियों के लिये उपहार है।
* संगीत एक ऐसी दवा है जो कठिन से कठिन रोग का नाश
कर देता।
Fluet |
* संगीत साधक को मन से उपर अमरत्व को प्राप्त कराता है।
*संगीत केवल वाणी का ही सौन्दर्य नहीं है,। यह मन प्राण व तन तीनों का समन्वित साधना है।
संगीत के प्रकार ____
१ शास्त्रीय संगीत
२ भाव संगीत (सुगम संगीत)
शास्त्रीय संगीत____
जिस संगीत में गायन वादन व नृत्य के कुछ नियम निर्धारित होते हैैं उसे शास्त्रीय संगीत कहते हैं। रागों के नियम व तालों के बन्धन में ही गायन वादन होता है।
भाव संगीत---
Bhaw nrity |
भाव संगीत में शास्त्रीय संगीत जैसे कोई बंधन नहीं होता है। भाव संगीत में गीत कानों को प्रिय लगे इसीलिए कलाकार जनता को अच्छा लगे, मनोरंजन के लिए सरल रचना को पेश करता है।
आधुनिक संगीत:
ग़ज़ल____
_ ग़ज़ल अधिकतर उर्दू फ़ारसी भाषा में होती है। इसके अधिकांश गीतों में आशिक़ माशुक का वर्णन पाया जाता है। इसीलिए यह श्रींगार रस प्रधान गायकी है।रूपक दादरा कहरवा पश्तो दिपचंदी तालों में अधिकतर गाई जाती है।
कव्वाली---
मुस्सलिम स की स्तुती परक गायकी है। इसमें भी अधिकतर उर्दू फ़ारसी भाषा का प्रयोग किया जाता है। हिन्दुओं में भी कव्वाली का प्रचार पाया जाता है।स्थाई अंतरा के अलावा बीच बीच में शेर" भी होते हैं।
भजन-
भजन में हिन्दी भाषा में राम, कृष्ण दुर्गा माता ,
शिवजी सभी देवी-देवताओं की आराधना की जाती है।भजन को किसी एक राग में स्वर बंध करके गाते हैं और मिश्रीत रागों में भी गाते हैं।
लोकगीत-----
Lokgeet ka drisy |
लोकगीत वह है जिसे त्योहारों, उत्सवों, मांगलिक अवसरों पर अपने अपने राज्यों में नर नारियों के द्वारा गाया जाता है। लोकगीत हमें हमारी संस्कृति से परिचित कराती है। परम्परागत रूप से जो धुनें चलती आई है,वे सब हमारी धरोहर है। उदाहरण स्वरूप- कुछ राज्यों के लोकगीत-_
घोड़ी:-----
बन्ना बन्नी, ज्यौनार, जनेऊ ,भातवान,मड़वा,गारी ,सोहर झूमर कजरी आ,चैती जिन्हें उत्तर प्रदेश बिहार में गाया जाता है।
होली-
धमार ताल में गाया जाता रहा है ,परन्तु अब कहरवा दादरा में काफी प्रचलन हो गया है , जो कानों को अति प्रिय लगता है। इसमें सर्वाधिक श्रींगाररस का वर्णन होता है। इसमें बर्ज की होली का वर्णन होता है।
धन्यवाद पाठकों
रचना-कृष्णावती
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें