नमस्कार दोस्तों,
प्रभु बिटिया जन्म न दिजो
Prabhu bitiya janam na dijo |
कहीं रुलाई गई, कहीं सताई गई
कहीं जलाई गई, तो कहीं हबस बनाई गई।
जहां अंधा कानून जहां गूंगा कानून
नाहीं देखे नाही सुने, नाहीं बोले कानून ।
कहीं कलियां खिलीं , फूल खिल ना सका
कहीं धूं धूं जला , अधर खूल ना सका।
माली रो रो पुकारे, मोसे हुआ क्या कूसुर
गुड़िया क्यो हुई, दूर,सुगिया क्यो गई दूर।
जहां अंधा कानून...........
जहां गूंगा कानून,............
Prabhu bitiya janam na dijo |
रोती चिखती बिलखती, करती गुहार।
कोई लाज बचाओ, आके हमार।
नैना कातर निहारे, सहूं केतना जूलुम।
जहां अंधा कानून.......
जहां गूंगा कानून.........
चाहे द्वापर हो, चाहे त्रेता काल
युगों युगों से हुआ, यहीं मेरा हाल।
कोई युगती बनावो, ऐसी ना होवे जूलुम।
जहां अंधा कानून...........
जहां गूंगा कानून.............
धन्यवाद पाठकों,
रचना-कृष्णावती
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