नमस्कार दोस्तों,
आज भले ही शहर के चकाचौंध में अपनी पहचान सभी ढूंढ रहे हैं, परन्तु आज भी गांव की यादें आंखें नम कर देती है। उन यादों को सरल शब्दों में मैंने व्यक्त किया है। आप सभी का प्यार व आशीर्वाद अपेक्षित है।
कविता
गांव की शरदी
थर थर थर थर कांपे तन मन, शरदी ऐसी सताई,
कम्बल उपर डालो भाई, रुई वाली रजाई।
सांझ विहाने कउड़ा तापें, गांती बांध के भाई,
लकड़ी लवना बिन बिन, कोने में आग लगाई।
धुआं देख मुहल्ला सारा , दौड़े दौड़े आया ,
जल्दी आग से हाथ सेंकना, हाथ में हाथ भिड़ाया।
दादी हुक्का चिलम बोरसी, अचरा में घुसाई,
हे हे बबुआ धराद चिलम, तनिक हम लेई चढ़ाई।
जब घाम डाले दुआरा पर डेरा,
सब लड़किन के हुआ बसेरा।
हाथ में ऊन सलाई लेके , शुरू हुई बुनाई,।
कौन बुनेगा सबसे सुन्दर,मन में होड़ लगाई।
ढली दुपहरी लौट चली सब, अपने घर को भाई,
अम्मा चाची पूछे घूर घूर, देर कहां लगाई।
अब आई मस्ती की बारी, निकल पड़ीं खेतों की ओर,
सरसों, बथुआ साग निकाले ,घूम घूम देखी चहूं ओर।
कोई चन्ने की साग हाथ में, मिर्ची नमक से खाये,
कोई मटर की छिमी तोड़ें , कोई चटकारे लगाये ।
ना कोई था पार्क ना कोई, होटल बाज़ी होता,
खेत खलिहान में सारी मस्ती, मौज हमारा होता।
धन्यवाद पाठकों
रचना-कृष्णावती
आज भले ही शहर के चकाचौंध में अपनी पहचान सभी ढूंढ रहे हैं, परन्तु आज भी गांव की यादें आंखें नम कर देती है। उन यादों को सरल शब्दों में मैंने व्यक्त किया है। आप सभी का प्यार व आशीर्वाद अपेक्षित है।
Gaon ki drishy |
कविता
गांव की शरदी
थर थर थर थर कांपे तन मन, शरदी ऐसी सताई,
कम्बल उपर डालो भाई, रुई वाली रजाई।
सांझ विहाने कउड़ा तापें, गांती बांध के भाई,
लकड़ी लवना बिन बिन, कोने में आग लगाई।
धुआं देख मुहल्ला सारा , दौड़े दौड़े आया ,
जल्दी आग से हाथ सेंकना, हाथ में हाथ भिड़ाया।
दादी हुक्का चिलम बोरसी, अचरा में घुसाई,
हे हे बबुआ धराद चिलम, तनिक हम लेई चढ़ाई।
जब घाम डाले दुआरा पर डेरा,
सब लड़किन के हुआ बसेरा।
हाथ में ऊन सलाई लेके , शुरू हुई बुनाई,।
कौन बुनेगा सबसे सुन्दर,मन में होड़ लगाई।
ढली दुपहरी लौट चली सब, अपने घर को भाई,
अम्मा चाची पूछे घूर घूर, देर कहां लगाई।
अब आई मस्ती की बारी, निकल पड़ीं खेतों की ओर,
सरसों, बथुआ साग निकाले ,घूम घूम देखी चहूं ओर।
gaon ki shardi |
कोई चन्ने की साग हाथ में, मिर्ची नमक से खाये,
कोई मटर की छिमी तोड़ें , कोई चटकारे लगाये ।
ना कोई था पार्क ना कोई, होटल बाज़ी होता,
खेत खलिहान में सारी मस्ती, मौज हमारा होता।
धन्यवाद पाठकों
रचना-कृष्णावती
अति उत्तम
जवाब देंहटाएंSahi me mam yeh gaon ki sardi bada satati, nahi dikhta taniko dur charo or kuhara chhai,
जवाब देंहटाएंGoan ki sardi ka bahut hi sunder barnan
जवाब देंहटाएंThanq so much
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