वो निमिया के ठाव , वो पीपल का छाव
वो गन्ने की चोरी, वो गोबर की होली।
वो बारिश का पानी, वो कागज़ की कश्ती
वो मित्रों की टोली ,और ढेरों मस्ती ।
वो चकवा चकैया, वो गुली- डंडे का खेल।
वो आपस की तकरार, वो पल भर में मेल।
वो कौवा उड़ भैंस उड़ , खेलें हम साथ
कभी पोखर नहाएं , कभी पाकवा इनार
कभी नहरी में कूदें, कभी फाने दीवार
वो मिट्टी का खिलौना, वो दिवाली का गांव
वो दिया की चोरी, विहाने दबे पांव।
कहीं कोई देखे ना, जाने ना पावे
धीरे बोल भाई कोई सुने ना पावे।
बनाया तराजू सजाया दुकान
ऐ चुन्नू,ऐ मुन्नू, खरीदो सामान
Mera bachchpan |
मेरे खेल का ना, कोई मोल था
ना रिमोट कार था, ना हेलीकॉपटर था।
वो गर्मी की छुट्टी, वो नानी का गांव
वो नाना की लाठी, वो बरगद का छांव।
Mera bachpan kavita |
जब याद आती है, बचपन तिहारे
अश्रु से भर आते, नैना (आंख) हमारे
मुझ पर दया कर दो हे पालन हारे
कोई बाबा लौटा दो बचपन हमारे।
हृदय से धन्यवाद पाठकों
नमस्कार
रचना कृष्णावती कुमारी
Aap ka bachpan hain aapke man me.Koi usko chin nahi sakta.
जवाब देंहटाएंLele sabkuch lele bas badle me maa ki god me sula de mera bachpan loutade mera bachpan loutade...
जवाब देंहटाएंDhanybad sir
जवाब देंहटाएंDhanybad sir
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