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मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

एक दौड़ ऐसी भी/ek daud aisi bhi

एक दौड़ ऐसी भी   (दििल को छूने लेेेंने वालीी)

Ek daud aisi bhi

Ek daud aisi bhi 


कई   साल पहले ओलंपिक खेलों के दौरान एक   विशेष दौड़ 
होने जा रही थी।सौ मीटर की इस दौड़ में एक गजब की घटना हुई।नौ प्रतिभागी शुरुआत  की रेखा पर तैयार खड़े थे। उन सभी को कोई न कोई शारीरिक विकलांगता थी।
            सीटी बजी, सभी दौड़ पड़े। बहुत तेज तो नहीं,पर उनमें जीतने की होड़ तेज थी। सभी जीतने की उत्सुकता के साथ आगे बढ़े। सभी,बस एक  छोटे-से लड़के को छोड़कर।
तभी एक छोटा-सा लड़का ठोकर खाकर लड़खड़ाया,गिरा और रो पड़ा।उसकी आवाज़ सुनकर बाकी प्रतिभागी दौड़ना छोड़ कर देखने लगे कि क्या हुआ? फिर एक एक करके वे सब उस बच्चे की मदद के लिए उसके पास आने लगे।सबके सब लौट आए। उसे दुबारा खड़ा किया। उसके आंसू पोंछे, धूल साफ की। वह छोटा लड़का ऐसी बिमारी से ग्रस्त था, जिसमें शरीर के अंगों की बढ़त धीमें होती है। और उनमें तालमेल की कमी भी रहती है। इस बिमारी को डाउन सिंड्रोम कहते हैं । लड़के की दशा देख एक बच्ची ने उसे अपने गले से लगा लिया और उसे प्यार से चूम लिया। यह कहते हुए कि, यह उसे अच्छा लगेगा।
              फिर तो सारे बच्चों ने एक दुसरे का हाथ पकड़ा और साथ मिलकर दौड़ लगाई और सबके सब अंतिम रेखा तक एक साथ पहुंच गए। दर्शक मंत्रमुग्ध होकर देखते रहे, इस सवाल के साथ की सबके सब एक साथ बाज़ी  जीत चुके हैं। इनमें से किसी एक को स्वर्ण पदक कैसे दिया जा सकता है। निर्णायकों ने भी सबको  स्वर्ण पदक देकर समस्या का शानदार हर ढुंढ निकाला। सबके सब एक साथ विजयी इसलिए हुए कि उस दिन दोस्ती का अनोखा दृश्य देख दर्शकों
की तालियां थमने का नाम नहीं ले रही थी।
          
                           द्वारा - एन सी ई आर टी

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